गेहूं की फसल में खरपतवारों से छुटकारा: आसान ट्रिक्स जो आपकी उपज बढ़ाएं

गेहूं में रासायनिक खरपतवार नियंत्रण

बेहतर होने के कारण रासायनिक खरपतवार नियंत्रण को प्राथमिकता दी जाती है। कम लागत और समय की भागीदारी के साथ दक्षता साथ ही, इससे कोई यांत्रिक क्षति नहीं होती है।

जिससे की हाथ से निराई-गुड़ाई के दौरान होने वाली फसल क्षति से बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, रासायनिक खरपतवार नियंत्रण अधिक प्रभावी है क्योंकि निराई-गुड़ाई से पंक्तियों के भीतर के खरपतवार ख़तम नहीं होते है।

रासायनिक खरपतवार नियंत्रण से पंक्तियों के भीतर के भी खरपतवारों को मार दिया जाता हैं। खरपतवार वनस्पतियों के प्रकार के आधार पर शाकनाशियों का चयन फसल को संक्रमित करना और आगे शाकनाशी का प्रयोग करना चाहिए।

उचित अनुप्रयोग का उपयोग करके इष्टतम खुराक और समय पर तकनीकी के हिसाब से इनका छिड़काव करके अच्छा नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता हैं।

बुवाई के तुरंत बाद गेंहू में खरपतवार नियंत्रण

भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह छौक्कर ने बताया कि किसान गेहूं बिजाई के 3 दिन बाद पाईरोक्सा सल्फोन 60 ग्राम का प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी मिलाकर से छिड़काव करें। इससे मंसी, जंगली जेई व लोमड़ घास पर नियंत्रण हो जाएगा।

अगर बुवाई के तुरंत बाद खेत में खरपतवार उग आते है तो उपज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए फसल में समय पर खरपतवारों नियंत्रण करना बहुत आवश्यक होता है।

गेहूं की फसल में चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवारों का नियंत्रण

गेहूं की फसल में कई प्रकार के खरपतवार उगते है जिनमे चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवारों से बहुत नुकसान देखने को मिलता है, इनको नियंत्रण करने के लिए 2,4-डी नामक दवा की 200 ग्राम/एकड़ या मेटसल्फ्यूरॉन 1.6 ग्राम/एकड़ अथवा कारफेंट्राजोन 8 ग्राम/एकड़ की मात्रा का उपयोग करके 150 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है।

कच्ची पत्तियों या घासों का नियंत्रण

गेंहू की फसल का सबसे खतरनाक खरपतवार फालारिस माइनर यानी मंडूसी है। इसको नियंत्रित करने के लिए क्लोडिनॉफॉप 24 ग्राम/एकड़ या फेनोक्साप्रोप 40 ग्राम/एकड़ अथवा पायरीफॉक्सिफेन की 10 ग्राम/एकड़ मात्रा का उपयोग करना चाहिए।

मिश्रित खरपतवारों का नियंत्रण

इस श्रेणी में सभी प्रकार के खरपतवार आते हैं, जिनको नियंत्रण करने के लिए 2,4-डी या मेटसल्फ्यूरॉन को क्लोडिनॉफॉप या आईसोप्रोटोरोन के साथ मिलाकर छिड़काव फसल (बोने के 30-35 दिनों बाद, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी हो) करना चाहिए।