ज़ैद सीजन: भारत के फसल चक्र का अनदेखा सेतु

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ज़ैद सीजन: भारत के फसल चक्र का अनदेखा सेतु

भारत, एक कृषि प्रधान देश होने के नाते, अपने फसल चक्र को बहुत सावधानी से नियोजित करता है। यहां साल को तीन मुख्य फसली मौसमों में बांटा गया है – रबी, खरीफ और ज़ैद। इनमें से, ज़ैद सीजन भारत के कृषि चक्र का ऐसा चरण है जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। लेकिन इसके महत्व को समझना और इसके बारे में जागरूकता फैलाना न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरे कृषि अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है।

ज़ैद सीजन क्या है? 

ज़ैद सीजन गर्मियों के दौरान का वह छोटा अवधि है जो रबी और खरीफ सीजन के बीच आता है। यह मार्च से जून के दौरान होता है, जब रबी फसलों की कटाई पूरी हो जाती है और खरीफ के लिए तैयारी शुरू होती है। यह सीजन मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में विकसित होता है जहां सिंचाई की सुविधा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है, क्योंकि इस दौरान मानसून की अनुपस्थिति में कृत्रिम जल की आवश्यकता अधिक होती है।

कृषि में ज़ैद सीजन का महत्व 

ज़ैद सीजन कृषि चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह किसानों को साल भर खेती का अवसर प्रदान करता है। आमतौर पर, रबी और खरीफ के दौरान खेतों का अधिकतम उपयोग हो चुका होता है। इस बीच, ज़ैद का सीजन मिट्टी को आराम और पुनर्जीवित करने का मौका देता है। इसके अलावा, यह किसानों की आय बढ़ाने और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायक है। इस सीजन में पैदा होने वाले फसलें न केवल घरेलू बल्कि उद्योगों और निर्यात के लिए भी महत्त्वपूर्ण होती हैं।

ज़ैद सीजन में उगाई जाने वाली फसलें 

इस सीजन की फसलें मुख्यतः कम अवधि में पकने वाली होती हैं और इनमें पानी की अधिक दरकार होती है। यहां कुछ प्रमुख ज़ैद फसलें दी गई हैं:

  • फल और सब्जियां - खरबूजा, तरबूज, ककड़ी 

  • अनाज - चना, मक्का 

  • दलहन - मूंग, उड़द 

  • तिलहन - सूरजमुखी, मूंगफली 

इन फसलों की खेती न केवल मिट्टी के पोषण को संतुलित करती है, बल्कि देश की कुल कृषि उत्पादन को भी बढ़ाती है।

ऐतिहासिक संदर्भ 

ज़ैद फसली खेती का उल्लेख भारत के प्राचीन कृषि ग्रंथों में भी मिलता है। ऐतिहासिक रूप से, यह समय वह था जब किसान अपने उपयोग के लिए छोटी अवधि वाली फसलें उगाते थे। खेती के उपकरण और सिंचाई सुविधाओं के अभाव में, किसानों के लिए इस सीजन का पूरा लाभ उठाना मुश्किल होता था। लेकिन आधुनिक युग में, उन्नत तकनीकों और सिंचाई प्रणालियों ने इसे आर्थिक और व्यावसायिक दृष्टि से अधिक लाभकारी बना दिया है।

किसानों के समक्ष चुनौतियां 

ज़ैद सीजन के दौरान कई चुनौतियां भी किसानों को सामना करना पड़ता है, जिनमें से प्रमुख हैं:

  1. सिंचाई की समस्या – इस सीजन में मानसून की अनुपस्थिति के कारण पूरी तरह कृत्रिम जल स्रोतों पर निर्भरता बढ़ जाती है। 

  2. उच्च तापमान – मार्च से जून के दौरान उच्च तापमान फसलों पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। 

  3. कम बाजार मांग – कुछ फसलों की मांग केवल स्थानीय स्तर पर ही होती है, जिससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। 

  4. मिट्टी के पोषण का नुकसान – लगातार फसल उगाने के कारण मिट्टी की उर्वरता घट सकती है। 

उत्पादकता बढ़ाने के उपाय 

इन समस्याओं से निपटने के लिए सही उपाय अपनाए जाने चाहिए। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो ज़ैद सीजन की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं:

  • जल संग्रहण तकनीक – जल संग्रहण तालाब, चेक डैम और माइक्रो इरिगेशन तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए। 

  • गुणवत्तायुक्त बीजों का उपयोग – गुणवत्तापूर्ण बीज और फसल चक्र अपनाकर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। 

  • फसल के लिए अनुसंधान – कृषि अनुसंधान संस्थानों द्वारा ज़ैद फसलों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। 

  • किसानों को प्रशिक्षण – किसानों के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए, जिसमें उन्हें नई तकनीकों की जानकारी दी जाए। 

आर्थिक प्रभाव 

ज़ैद सीजन फसलों का उत्पादन न केवल किसानों को आय प्रदान करता है, बल्कि इससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों और निर्यात के अवसर भी मजबूत होते हैं। इतना ही नहीं, यह ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन का एक बड़ा माध्यम भी है।

निष्कर्ष 

ज़ैद सीजन भारत के कृषि चक्र का ऐसा पहलू है जिसे नए सिरे से पहचानने और संवारने की जरूरत है। इसके महत्व को समझना और कृषि के इस छोटे से मगर आवश्यक हिस्से को सशक्त बनाना, न केवल किसानों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। इस अज्ञात सेतु को एक मूल्यवान अवसर में बदलने के लिए सरकार, किसान और उद्योगों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

कृषि की इस अनदेखी कड़ी को अगर सही समर्थन और संसाधन मिले, तो यह भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है। ज़ैद सीजन सिर्फ एक सीजन नहीं, बल्कि एक संभावना है – भविष्य की अधिक उत्पादक, सशक्त और टिकाऊ कृषि की।

ज़ैद सीजन: भारत के फसल चक्र का अनदेखा लेकिन अहम हिस्सा - Khetikyari