2034 तक विकासशील देशों में मांस और डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ेगी, FAO-OECD की रिपोर्ट

ग्लोबल कृषि क्षेत्र पर नजर रखनी वाली FAO (Food and Agriculture Organisation) और OECD (Organisation for Economic Co-operation and Development) की संयुक्त रिपोर्ट में एक बड़ी भविष्यवाणी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2034 तक विकासशील देशों में मांस और डेयरी उत्पादों की मांग में भारी वृद्धि देखने को मिलेगी। बढ़ती शहरीकरण, आय में वृद्धि और आहार बदलने की प्रवृत्ति इसके प्रमुख कारण बताए गए हैं। इस लेख में हम इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं, इसके पीछे के कारणों, संभावित प्रभावों और चुनौतियों का विश्लेषण करेंगे।
मांस और डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण
1. शहरीकरण का प्रभाव
जैसे-जैसे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग शहरी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं, उनका जीवनशैली भी बदल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में प्रोटीन युक्त भोजन की मांग अधिक होती है। लोग अब पारंपरिक अनाज आधारित आहार से हटकर मांस, दूध और उससे बने उत्पादों जैसे पनीर, दही आदि की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह परिवर्तन विकासशील देशों में तेजी से हो रहा है, जैसे भारत, चीन, ब्राजील और अफ्रीकी देश।
2. आय में वृद्धि
FAO-OECD की रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकतर विकासशील देशों में आर्थिक प्रगति हो रही है, जिससे मध्यम वर्ग का विस्तार हो रहा है। जैसे-जैसे लोगों की आय बढ़ रही है, वे उच्च गुणवत्ता और पौष्टिक आहार की ओर रुख कर रहे हैं। मांस और डेयरी उत्पादों को प्रोटीन और पोषण का एक समृद्ध स्रोत माना जाता है, इसीलिए इनकी मांग बढ़ रही है।
3. पश्चिमी आहार का प्रभाव
पश्चिमी देशों के आहार शैली का प्रभाव विकासशील देशों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। फास्ट फूड और डेयरी आधारित उत्पादों जैसे चीज़, बटर और आइसक्रीम की लोकप्रियता में इज़ाफा हो रहा है। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से युवाओं और बड़े शहरी क्षेत्रों में देखने को मिल रही है।
4. आबादी वृद्धि
विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि भी मांस और डेयरी की मांग को बढ़ावा दे रही है। अधिक लोगों का मतलब अधिक खाद्य उत्पादों की आवश्यकता है, और मांस और दूध जैसे उत्पाद इन जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा बन रहे हैं।
वैश्विक बाजारों पर प्रभाव
1. उत्पादन में बढ़ोतरी की आवश्यकता
मांग में वृद्धि के साथ, मांस और डेयरी उत्पादों की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए उत्पादन में बढ़ोतरी करना अनिवार्य होगा। किसानों और डेयरी उद्योग को नई तकनीकों और संसाधनों का उपयोग करना होगा।
2. मूल्य वृद्धि का संकट
अगर आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं हुई, तो मांस और डेयरी उत्पादों की कीमतों में भारी वृद्धि देखने को मिल सकती है। यह खासकर उन देशों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा जहां पहले से ही आर्थिक असमानता मौजूद है।
3. वैश्विक व्यापार में उछाल
बहुत से विकासशील देश अपनी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर होंगे। इससे वैश्विक बाजारों में नए व्यापार अवसर उत्पन्न होंगे। उदाहरण के लिए, विकसित देश, जो मांस और डेयरी उत्पादों के बड़े उत्पादक हैं, इन निर्यातों से आर्थिक लाभ उठा सकते हैं।
प्रमुख चुनौतियां
1. पर्यावरणीय प्रभाव
मांस और डेयरी उद्योग का विस्तार पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसमें मवेशियों से निकलने वाली मीथेन गैस, पानी की खपत, और जंगलों की कटाई शामिल हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर इस विस्तार को पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ तरीके से नहीं किया गया, तो यह जलवायु परिवर्तन को तेजी से बढ़ा सकता है।
2. पशु कल्याण
मांस और डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण बड़े पैमाने पर पशु-पालन की आवश्यकता होगी। ऐसे में पशु कल्याण के मुद्दे, जैसे कि उनकी उचित देखभाल, स्वास्थ्य और प्राकृतिक जीवनशैली, महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
3. छोटे किसानों की कठिनाइयां
छोटे और मझोले किसान, जो परंपरागत तरीकों पर आधारित हैं, बढ़ती मांग और प्रतिस्पर्धा के चलते कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। नई तकनीकों और संसाधनों की लागत उनकी पहुंच से बाहर हो सकती है, जिससे उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
4. स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव
FAO-OECD की रिपोर्ट यह भी चेताती है कि मांस और डेयरी उत्पादों की अतिरिक्त खपत से स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे मोटापा और हृदय रोग, बढ़ सकती हैं। संतुलित आहार को बनाए रखना इस मांग वृद्धि के साथ एक बड़ी चुनौती होगी।
आगे का रास्ता
FAO-OECD रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि बढ़ती मांग को पूरा करना आवश्यक है, लेकिन इसे टिकाऊ तरीके से करना और संभावित खतरों को कम करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
टिकाऊ कृषि पद्धतियां: मांस और डेयरी उत्पादों के उत्पादन में ऐसी तकनीकों का उपयोग जरूरी होगा जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाएं। उदाहरण के लिए, पानी की बचत वाली तकनीक और पशुओं के लिए बेहतर आहार योजना।
शिक्षा और जागरूकता: उपभोक्ताओं को संतुलित आहार के महत्व और कम पर्यावरणीय प्रभाव वाले विकल्पों के बारे में जागरूक करना होगा।
वैश्विक सहयोग: विकसित और विकासशील देशों के बीच सहयोग से उत्पादन और व्यापार को संतुलित किया जा सकता है।
नवाचार में निवेश: मांस और डेयरी उत्पादों के विकल्प, जैसे प्लांट-आधारित प्रोटीन और लैब में बनाए गए मीट, को बढ़ावा दिया जा सकता है।
2034 तक विकासशील देशों में मांस और डेयरी उत्पादों की मांग में वृद्धि एक बड़ी आर्थिक और सामाजिक घटना बन सकती है। हालांकि, इसका प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से हो सकता है। मांस और डेयरी उद्योग को इस मांग को टिकाऊ तरीके से पूरा करने, पर्यावरण और पशु कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने और किसानों और उपभोक्ताओं की जरूरतों को संतुलित करने की आवश्यकता है। FAO-OECD की रिपोर्ट नीति निर्माताओं और उद्योग विशेषज्ञों के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करती है कि कैसे इस चुनौती से निपटा जाए।